ये बात उस समय की है जब एक मिडिल क्लास फैमिली के बजट को अनदेखा कर के, दिल पे पथ्थर रख कर शॉपिंग यानि खरीददारी की जाती है। और ये समय होता है दिवाली के टाइम का।
अच्छा दिवाली के टाइम पर ठण्ड भी हलकी हलकी शुरू हो जाती है और दिवाली की तो खरीददारी होती ही है, तो इस समय एक परिवार की जेब कुछ ज्यादा ही ढीली हो जाती है।
बात शुरू तो सरलता से हुई थी पर होते होते बहुत बढ़ गई।
दिवाली की छुट्टी होते ही दीदी का पूरा परिवार कोलकाता आ गया था। दीदी, जीजा, और उनके दो बच्चे।
समय दिवाली का था, तो शॉपिंग के लिए हम सभी लोग बाजार जाने की तैयारी में ही लगे हुए थे की तभी टिंकू की आवाज मेरे कानो में पड़ी की मुझे एक अच्छी सी जैकेट भी लेनी है। दीदी के दोनों बच्चे थोड़े शैतान थे। वैसे बच्चे थोड़े नहीं बहुत शैतान होते है।
टिंकू के जैकेट का नाम लेते ही दीदी ने जैकेट के लिए साफ इंकार करते हुवे कहा की अभी पिछले साल ही तो नई जैकेट दिलवाई थी उसी को पहनना अभी।
फिजूलखर्ची ना हो इसलिए दीदी तो शॉपिंग पर जाना ही नहीं चाहती थी, पर मेरे कहने पर बड़ी मुश्किल से राजी तो हुई थी।
फिजूलखर्ची ना हो इसलिए दीदी तो शॉपिंग पर जाना ही नहीं चाहती थी, पर मेरे कहने पर बड़ी मुश्किल से राजी तो हुई थी।
बाजार जाने के लिए तैयार ना होने का सिर्फ यही एक कारण था की कही खर्चा ज्यादा ना हो जाये। ये मध्यम वर्ग परिवार की आज की सोच नहीं है बल्कि सदियों पुरानी है।
एक तो दीदी का मन ना होना बाजार जाने का और टिंकू का लटक जाना नई जैकेट के लिए, बड़ी उधेड़ बुन वाली समस्या हो चली थी। दीदी ने साफ लफ्जो में कह दिया की जाओ तुम लोग मुझे नहीं जाना बाजार वाज़ार।
टिंकू अपनी जिद पर ऐठा जा रहा था और दीदी अपनी जगह से तस से मास ना हो रही थी।
फिर किसी तरह दीदी और टिंकू दोनों को जाने के लिए तैयार किया और फाइनली हम बाजार चले गए।
बाजार की रौनक तो देखते ही बनती थी। हमारी दीदी की सोच तो मध्यम परिवार की थी पर जीजा जी मध्यम परिवार से थोड़ा ऊपरी सोच वाले थे।
ऑटो से हम सब मार्केट पहुंच चुके थे की जीजा जी के मुँह से अचानक निकल पडा की चलो उस मॉल में चलते है।
मॉल तो बहुत बड़ा था। सब उस मॉल में घुसते ही ऐसे तीतर बितर हुए की मुझे घंटो कोई ना मिला।
मैं जल्द ही अपनी शॉपिंग ख़तम करके सब को ढूंढने लगा।
मुझे दीदी टिंकू के लिए जैकेट देखती हुई दिखी। टिंकू को दूसरी जैकेट पसंद थी और दीदी buy 1 Get 1 फ्री वाली पसंद थी। टिंकू ने जीजा जी से सोर्स लगा कर जैकेट खरीद ली और जीजा जी ने उसका बिल भी कटवा लिया और हम लोग बातें करने के लिए एक साइड पर खड़े हो गए, कि तभी दीदी को बड़ी तेजी से टिंकू की तरफ आते हुए दिखी ।
टिंकू ये जैकेट पहन देख कितनी अच्छी है मरता क्या ना करता टिंकू ने जैकेट पहनी और ये जैकेट टिंकू को भी अच्छी लग गई।
अब क्या था एक तो buy 1 Get 1 फ्री भी थी और ये जैकेट सभी को पसंद भी आ रही थी।
दीदी पहुंच गई बिल काउंटर पर और कहाँ की ये जैकेट पसंद है और अब ये जैकेट लेनी है पुरानी वाली वापस करके इसका बिल कट कर दें।
सेल्समैन ने साफ इंकार कर दिया की अब बिल कट गया है तो अब वापस तो ना हो पायेगी हाँ इसके बदले इसी तरह की कोई और जैकेट पसंद कर लें।
पर दीदी को तो buy 1 Get 1 फ्री में अपना ज्यादा फायदा दिख रहा था, तो दीदी ने भी सेल्समैन के ऊपर चढाई कर दी। दीदी की और सेल्समैन की नोंक झोंक कब तीखी तकरार में बदल गई पता ही नहीं चला।
दीदी ने जीजा जी की तरफ देखते हुए कहा कुछ क्यों नहीं बोलते, सेल्समैन ने भी अपने मैनेजर को बुलवा लिया था। अब मैनेजर साब भी आ धमके थे और उन्होंने दीदी को इंग्लिश में समझाना शुरू कर दिया।
दीदी को इंग्लिश थोड़ी ठीक नहीं थी तो दीदी का झेप ना जाएँ इसलिए जीजा जी आगे आ कर बोले "इट्स ओके सर" "आई विल मैनेज" . और दीदी को चलने के लिए कहा।
दीदी कहाँ इतनी आसानी से मानने वाली थीं, दीदी भी आग बबूला हो के बोली मुझसे बात कीजिये और हिंदी में बोलिये हम हिंदुस्तानी है और हम हिंदी में ही बात करते है।
मैनेजर के थोड़ा हस कर दीदी को "वी हैवे नो ऑप्शन मैम" कहने को, दीदी ने इसको अपना मजाक समझा।
फिर तो दीदी ने मैनेजर को हिंदी में ही कड़ी खोटी सुनाना शुरू कर दिया।
टिंकू दीदी को चलने के लिए खींचे जा रहा था पर दीदी अपनी जगह से हिली नहीं। मैनेजर भी झेप चूका था पर बेचारा क्या करता हस कर बोले जा रहा था।
पर दीदी को उसका इंग्लिश में बोलना नहीं भा रहा था। दीदी ने भी हिंदी मीडियम लोगो को समाज में जगह दिलाने की ठान ली थी।
मैनेजर बेचारा मैम - मैम किये जा रहा था। और अब जैकेट की तो कोई बात ही नहीं हो रही थी अब तो हिंदी प्रेम की बातें हो रही थी जैकेट को तो मानो दीदी भूल ही गई थी।
अन्त में दीदी मैनेजर से ये कहते हुए चलती बानी की अपने घर में भी क्या अपनी माँ से इंग्लिश में ही बोलते हो।
मैनेजर बेचारा अपनी जगह से टस से मस ना हुवा।
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कहानी अच्छी लगे तो शेयर और कमेंट जरूर करें।
हिमांशु उपाध्याय
मैं जल्द ही अपनी शॉपिंग ख़तम करके सब को ढूंढने लगा।
मुझे दीदी टिंकू के लिए जैकेट देखती हुई दिखी। टिंकू को दूसरी जैकेट पसंद थी और दीदी buy 1 Get 1 फ्री वाली पसंद थी। टिंकू ने जीजा जी से सोर्स लगा कर जैकेट खरीद ली और जीजा जी ने उसका बिल भी कटवा लिया और हम लोग बातें करने के लिए एक साइड पर खड़े हो गए, कि तभी दीदी को बड़ी तेजी से टिंकू की तरफ आते हुए दिखी ।
टिंकू ये जैकेट पहन देख कितनी अच्छी है मरता क्या ना करता टिंकू ने जैकेट पहनी और ये जैकेट टिंकू को भी अच्छी लग गई।
अब क्या था एक तो buy 1 Get 1 फ्री भी थी और ये जैकेट सभी को पसंद भी आ रही थी।
दीदी पहुंच गई बिल काउंटर पर और कहाँ की ये जैकेट पसंद है और अब ये जैकेट लेनी है पुरानी वाली वापस करके इसका बिल कट कर दें।
सेल्समैन ने साफ इंकार कर दिया की अब बिल कट गया है तो अब वापस तो ना हो पायेगी हाँ इसके बदले इसी तरह की कोई और जैकेट पसंद कर लें।
पर दीदी को तो buy 1 Get 1 फ्री में अपना ज्यादा फायदा दिख रहा था, तो दीदी ने भी सेल्समैन के ऊपर चढाई कर दी। दीदी की और सेल्समैन की नोंक झोंक कब तीखी तकरार में बदल गई पता ही नहीं चला।
दीदी ने जीजा जी की तरफ देखते हुए कहा कुछ क्यों नहीं बोलते, सेल्समैन ने भी अपने मैनेजर को बुलवा लिया था। अब मैनेजर साब भी आ धमके थे और उन्होंने दीदी को इंग्लिश में समझाना शुरू कर दिया।
दीदी को इंग्लिश थोड़ी ठीक नहीं थी तो दीदी का झेप ना जाएँ इसलिए जीजा जी आगे आ कर बोले "इट्स ओके सर" "आई विल मैनेज" . और दीदी को चलने के लिए कहा।
दीदी कहाँ इतनी आसानी से मानने वाली थीं, दीदी भी आग बबूला हो के बोली मुझसे बात कीजिये और हिंदी में बोलिये हम हिंदुस्तानी है और हम हिंदी में ही बात करते है।
मैनेजर के थोड़ा हस कर दीदी को "वी हैवे नो ऑप्शन मैम" कहने को, दीदी ने इसको अपना मजाक समझा।
फिर तो दीदी ने मैनेजर को हिंदी में ही कड़ी खोटी सुनाना शुरू कर दिया।
टिंकू दीदी को चलने के लिए खींचे जा रहा था पर दीदी अपनी जगह से हिली नहीं। मैनेजर भी झेप चूका था पर बेचारा क्या करता हस कर बोले जा रहा था।
पर दीदी को उसका इंग्लिश में बोलना नहीं भा रहा था। दीदी ने भी हिंदी मीडियम लोगो को समाज में जगह दिलाने की ठान ली थी।
मैनेजर बेचारा मैम - मैम किये जा रहा था। और अब जैकेट की तो कोई बात ही नहीं हो रही थी अब तो हिंदी प्रेम की बातें हो रही थी जैकेट को तो मानो दीदी भूल ही गई थी।
अन्त में दीदी मैनेजर से ये कहते हुए चलती बानी की अपने घर में भी क्या अपनी माँ से इंग्लिश में ही बोलते हो।
मैनेजर बेचारा अपनी जगह से टस से मस ना हुवा।
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हिमांशु उपाध्याय
4 Comments
Kya story likhi hai
ReplyDelete😇😇😇😇
mast
ReplyDeleteBahut achhi hai sir story 😁😁😁🤗🤗
ReplyDeleteWow super story
ReplyDeleteThanks for Comment.