उड़ चलूँ उन परिंदो के साथ जो होते हैं हवाओं के साथ
फिरता चलूँ मैं भी उन वादियों के हाथ
इस हवाओं में कैद हो जाऊँ खामोशियों साथ
उड़ चलूँ उन परिंदो के साथ जो होते हैं हवाओं के साथ
गुफ्तगू हो वादियों में सिर्फ बादलों के साथ
समंदर भी खुद को तलाशे जमीनों के साथ
उड़ चलूँ उन परिंदो के साथ जो होते हैं हवाओं के साथ
2 Comments
Udan bharo
ReplyDeleteKeep
ReplyDeleteThanks for Comment.