वो काली बारिश
वो किसी तरह अपने सामान को इधर उधर हटा रही थी। उसका बिस्तर पानी से भीग चूका था।
रामू को भी तेज भुखार था। बारिश के रुकते ही वो डॉक्टर के पास जाने वाली थी। उसने पूरी ताकत अपने तख़त (बिस्तर) को टपकते पानी से बचाने में लगा दी थी।
आज बादल भी मतवाले होकर खूब बरस रहे थे। पुरे कमरे में पानी ही पानी था। वो अपना सामान पानी से बचाते बचाते खुद पानी पानी हो चुकी थी। रामु को एक कोने में समेट दिया था उसने।
ये आज की बात नहीं थी। जब भी बारिश होती थी उसका यही काम था हां पहले छत की दरारें कम थीं और अब कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। इस बार मैं कमरा ही बदल लुंगी और इस परेशानी से निजात पा जाउंगी। पर कमरा बदलने के नाम पर उसको अपना पुराना किराया याद आ जाता था।
कैसे चुकाऊं इस किराये को यही सोच रही थी कि तभी रामू के पापा भी ऊपर से निचे तक भीगे हुवे घर का दरवाजा खटखटाते है। रामू की माँ दरवाजा खोलती है तो क्या देखती है की रामू के पापा ठण्ड से थर थर कांप रहे हैं घर के दरवाजे पर ।
उनके अंदर आते ही रामु की माँ दरवाजा बंद करती है। उफ़ ये हवा और ये पानी दोनों ने तो जीना ही हराम कर दिया है बोलते हुवे रामू के पापा शर्ट निकलते है। अभी कहाँ अभी तो कमरे की ओर भी देखो झलझलाते हुवे रामू की माँ कहती है ।
अब क्या करूँ मेरी इतनी रोज की कमाई नहीं होती जो मैं पुराना बचा हूवा कियारा दे सकूँ और आज तो कुछ भी कमाई नहीं हुई इस बारिश ने तो बट्टा ही बैठा दिया आज, मेरे कपड़े ले आ पहन लूँ जाड़ा लग रहा है, रामू कैसा है। एक ही सांस में रामू के पापा ये बात बोल गए ।
रामू को भी जाड़ा लग रहा था अभी बुखार भी है सोचा डॉक्टर को बारिश ख़तम होने के बाद दिखने ले जाउंगी, पता नहीं डॉक्टर साहब आयें भी हैं या नहीं। रुको मैं देख आता हूँ रामू के पापा छाता उठाते हुए बोले।
छाता टूट गया है मैं काम से वापस आ रही थी तो तेज हवा के झोंके में छाता टूट गया, रुको अभी बारिश को रुकने दो साथ ही चलते हैं तब तक तुम आराम कर लो।
कहाँ आराम करूँ पूरा कमरा तो पानी पानी हुवा पड़ा है, इस बार कुछ पैसे बचा कर एक बड़ी पन्नी ले लेंगे और छत के ऊपर दाल देंगे।
सुनो रामू के पापा बारिश रुक गई है रामू को ले चलो दिखा लाते हैं डॉक्टर को बोलते हुवे रामू की माँ दरवाजे से बाहर झांकते हुवे बोली। दोनों डॉक्टर के यहाँ पहुंचते इससे पहले ही बारिश फिर शुरू हो चुकी थी।
जल्दी जल्दी डॉक्टर के यहाँ बचते बचाते पहुंच तो गए पर डॉक्टर साब के यहाँ ताला पड़ा था। कर इधर बारिश भी तेज हो चुकी थी। दोनों अपनी किस्मत को रोते हुवे वहीं टिन के नीचे एक बार फिर बारिश के रुकने का इतजार करने लगे।
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धन्यवाद
हिमांशु उपाध्याय
6 Comments
Wah bahut achchi kahani
ReplyDeleteDar bhari kahani
ReplyDeleteOsssam story guru ji
ReplyDeleteUmda
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteSuper
ReplyDeleteThanks for Comment.